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बंगाली महिलाएं किस वजह से पहनती हैं सफेद रंग की लाल बॉर्डर वाली साड़ी? वजह जान कहेंगे - हमें तो पता ही नहीं था

Authored by: गीतू कत्याल|नवभारतटाइम्स.कॉम

बंगाली महिलाओं की खूबसूरती की चर्चे आपने बहुत बार सुने होंगे। लेकिन अगर उनके पहनावे पर गौर करेंगे तो वो भी सबसे हटकर होता है। जैसे बंगाल की लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी, जिसे दुर्गा पूजा जैसे अवसर पर महिलाएं पहनकर छा जाती हैं। जानें इस साड़ी और इसके रंगों का क्या मतलब है।  

traditional bengali white and red lal par sada saree history know interesting facts in hindi
(फोटो साभार: इंस्टाग्राम@swastikamukherjee13)
(फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)
दुनियाभर में पहने जाने वाले हर कपड़े का एक इतिहास है। कईं कपड़ों को तो लोग स्पेशली खास मौकों पर जरूर पहनते हैं। जैसे बंगाली महिलाएं सफेद और लाल रंग की साड़ी बंगाली पूजा में जरूर पहनती हैं। सफेद रंग की इस साड़ी पर लगा लाल बॉर्डर सादगी के बावजूद भी खूबसूरती में इजाफा कर देता है। लेकिन यह रंग और पहनावा सिर्फ खूबसूरती से जुड़ा नहीं है। इसके पीछे का सालों पुरानी कहानी भी है, जिसके बारे में हम आपको बताएंगे।

दरअसल, सफेद रंग की लाल बॉर्डर वाली साड़ी कोई मामूली साड़ी जैसी नहीं है। इन दोनों रंगों के पीछे गहरा मतलब है। और, इसी वजह से बंगाली महिलाएं इन्हें सालों से तवज्जो देती आ रही हैं। आप भी जानें आखिर क्यों खास हैं यह साड़ी। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम@swastikamukherjee13)

बंगाली साड़ि​यों को कहा क्या जाता है?

बंगाली साड़ि<u>​</u>यों को कहा क्या जाता है?

बंगाली साड़ियों को लाल पाड़ साड़ी के नाम से जाना जाता है। सालों पहले इसे बंगाल में कपास और रेशम से तैयार किया जाता है। कारीगर खुद हाथों से इसपर मेहनत करते थे। स्वतंत्रता आंदोलन में भी इस साड़ी ने भूमिका निभाई। वेस्टर्न कल्चर को मना कर पारंपरिक पोशाक को बढ़ावा दिया गया। महिलाएं इस साड़ी को पहन इंडियन आइडेंटिटी दिखाती थीं। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम@nusratchirps)

क्यों मानी जाती हैं शुभ?

क्यों मानी जाती हैं शुभ?

लाल पाड़ साड़ी का लाल और सफेद रंग शुभ माना जाता है। लाल रंग शक्ति को दिखाता है। तो सफेद रंग पवित्रता और नारीत्व का प्रतीक है। लाल और सफेद रंग मां दुर्गा से भी जुड़ा है। इसलिए दुर्गा पूजा में इस साड़ी की अहमियत और भी ज्यादा बढ़ जाती है। पंडाल में ज्यादातर महिलाएं इसी साड़ी को पहन शुभ अवसर में छाती हैं। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम@balanvidya)

ड्रेपिंग भी होती है अलग

ड्रेपिंग भी होती है अलग

क्लासिक तरीके से ड्रेप हुई साड़ी और बंगाली साड़ी की ड्रेपिंग में अंतर है। लाल पाड़ साड़ी पहनते वक्त प्ल्लू की प्लीट्स बनाकर उन्हें शोल्डर पर ड्रेप किया जाता है। फिर पल्लू के एक पोर्शन को कमर पर टक किया जाता है। इसके बाद साड़ी का के पल्लू के कोने को दूसरे शोल्डर पर पीन अप कर लुक कंप्लीट बनता है। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम@jacquelienefernandez)

पहले बिल्कुल नेचुरल तरीके से होती थी तैयार

पहले बिल्कुल नेचुरल तरीके से होती थी तैयार

पहले लाल पाड़ साड़ी को तैयार करने का प्रोसेस बिल्कुल नेचुरल होता था। साड़ी का वाइट पोर्शन कपास और रेशम से बनता था। और, लाल रंग को लाख के इस्तेमाल करके रंगा जाता था। लेकिन समय के साथ ऐसा नहीं रहा। अब इन साड़ियों को तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल प्रोडक्ट का भी इस्तेमाल होता है। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम@bipashabasu)

समय के साथ बदल गया है स्टाइल

समय के साथ बदल गया है स्टाइल

एक समय पर यह साड़ी बिल्कुल सिंपल हुआ करती थी। और, प्योर फैब्रिक से ही तैयार होती थी। लेकिन समय के कुछ बदलाव आए। अब बंगाली साड़ियों में कई डिजाइन देखने के लिए मिलते हैं। साथ ही जरी, स्टोन और बीड्स वाली डीटेलिंग भी होती है, जो पहले नहीं हुआ करती थी। लेकिन आज भी महिलाएं इस साड़ी को पहनना पसंद करती हैं। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम@saipallavi.senthamarai)

आप भी कर सकती हैं कैरी

आप भी कर सकती हैं कैरी

प्लेन और सिंपल अटायर में रॉयल लुक लेना है, तो आप भी लाल पाड़ साड़ी पहन सकती हैं। यह साड़ी बेशक सादी होती है, लेकिन अपने आप में लुक को खास बना देती है। साथ में गोल्ड जूलरी पेयर कर ली जाए, तो लुक में आसानी से चार- चांद लग जाते हैं।



लाल और सफेद रंग की साड़ी बंगाली कल्चर के साथ भारतीय कला और स्टाइल की भी खासियत दिखाती है। तभी तो सालों बाद भी इसके लिए लोगों का क्रेज बिल्कुल कम नहीं हुआ है। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम@swastikamukherjee13)

गीतू कत्याल
लेखक के बारे में
गीतू कत्याल
गीतू कत्याल, मीडिया इंडस्ट्री में तीन साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने न्यूज 18 समेत ज़ी व जागरण जैसी संस्थानों में बतौर लेखक अपना योगदान दिया है। गीतू ने इस दौरान अलग-अलग विषयों पर लिखा, जो लाइफस्टाइल, एंटरटेनमेंट, हेल्थ, वायरल जैसे सेक्शन्स से जुड़े थे। इन्हें सक्सेस स्टोरीज लिखने का भी अनुभव है। गीतू महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर दिल से जुड़ाव रखती हैं और इन्होंने इसे लेकर कई ओपिनियन पीसिस लिखे हैं। मौजूदा समय में गीतू नवभारत टाइम्स में बतौर सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर कार्यरत हैं और फैशन सेक्शन में लेखक की भूमिका निभा रही हैं। हॉबीज की बात करें तो इन्हें खाली समय में लिखना, किताबें पढ़ना और घूमने के अलावा फिल्में देखना भी काफी पसंद है।... और पढ़ें
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