Please enable javascript.India Pakistan War,1971 के इस नायक ने दुनिया को कहा अलविदा, दुश्मन पाकिस्तान के उड़ाए थे 10 से ज्यादा टैंक - 1971 war hero honorary captain nathu singh jodha passes away destroyed over 10 enemy tanks - Hindi News Navbharat Times

1971 के इस नायक ने दुनिया को कहा अलविदा, दुश्मन पाकिस्तान के उड़ाए थे 10 से ज्यादा टैंक

Nathu Singh Jodha Death: नागौर के वीर सपूत मानद कैप्टन नाथू सिंह जोधा, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में अद्भुत पराक्रम दिखाया, अब नहीं रहे। उन्होंने परमवीर चक्र विजेता अरुण खेत्रपाल के साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना के दस से अधिक टैंकों को ध्वस्त किया था। बसन्तर के युद्ध में उनकी वीरता को हमेशा याद किया जाएगा।

nathu singh Jodha death
1971 के सिपाही नाथू सिंह जोधा ने दुनिया से कहा अलविदा (फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)
नागौर: देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले एक और वीर सपूत ने आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 1971 के भारत-पाक युद्ध में अद्भुत वीरता दिखाने वाले मानद कैप्टन (रिसालदार मेजर) नाथू सिंह जोधा का शनिवार तड़के निधन हो गया। वे राजस्थान के नागौर जिले की लाडनूं तहसील के गांव हुसैनपुरा के निवासी थे।

दरअसल,1971 के भारत-पाक युद्ध का एक गुमनाम नायक, जिसने परमवीर चक्र विजेता सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल के टैंक में गनर की भूमिका निभाते हुए पाकिस्तानी सेना के 10 से अधिक टैंकों को ध्वस्त कर दिया था, आज हमेशा के लिए अमर हो गया। मानद कैप्टन (रिसालदार मेजर) नाथूसिंह जोधा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जीवन देशभक्ति और वीरता की एक अद्भुत मिसाल था।

वीरता की मिसाल: फामागुस्ता टैंक के गनर

नाथू सिंह वो वीर योद्धा थे, जिन्होंने 1971 के ऐतिहासिक बसन्तर टैंक युद्ध में परमवीर चक्र विजेता सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल के साथ मिलकर पाकिस्तान के दस से अधिक टैंक नेस्तनाबूद कर दिए थे। वे पूना हॉर्स (17 हॉर्स) रेजिमेंट के फामागुस्ता टैंक के गनर थे और अपने अचूक निशानों से दुश्मन के होश उड़ा दिए थे।

योद्धा नाथू सिंह के जीवन के बारे में जानिए

नाथू सिंह का जन्म नागौर जिले के हुसैनपुरा गांव मं 5 फरवरी 1946 को अर्जुन सिंह जोधा एवं सुगन कंवर शेखावत के घर हुआ था। वे 30 अगस्त 1963 को भारतीय सेना के आर्मर्ड कॉर्प्स में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे और प्रशिक्षण के बाद उन्हें 17 हॉर्स रेजिमेंट में तैनात किया गया। वीरता और अनुशासन के बल पर वे रिसालदार मेजर बने और 31 मई 1992 को मानद कैप्टन के रूप में सेवानिवृत्त हुए। 971 के युद्ध में उनकी बहादुरी ने इतिहास रच दिया।

1971 युद्ध: जब नाथूसिंह ने पाकिस्तानी टैंकों को चकनाचूर किया
16 दिसंबर 1971 को बसन्तर के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी टैंकों के खिलाफ ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। इस लड़ाई में फामागुस्ता टैंक (जिसमें अरुण खेत्रपाल कमांडर थे) ने पाकिस्तान की 13 लांसर रेजिमेंट के कई टैंकों को नष्ट कर दिया। नाथूसिंह जोधा ने गनर की भूमिका में अद्भुत सटीकता दिखाते हुए पाकिस्तान के 10 से ज्यादा टैंक ध्वस्त कर दिए। युद्ध के दौरान जब टैंक में आग लग गई, तब भी अरुण खेत्रपाल और नाथूसिंह ने हार नहीं मानी। अरुण खेत्रपाल वीरगति को प्राप्त हुए और उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया, जबकि नाथूसिंह को मेंशन-इन-डिस्पैच मिला।

गुमनाम नायक, जो इतिहास के पन्नों में अमर रहेंगे
हालांकि युद्ध में उनकी वीरता को मेंशन-इन-डिस्पैच के रूप में दर्ज किया गया, लेकिन आमजन की नजरों से वे एक गुमनाम नायक ही रहे। जोधा अक्सर देश की सीमाओं और भारत-पाक संबंधों को लेकर चिंतनशील रहते थे और अगली पीढ़ी को राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देते थे।

एक सच्चे सिपाही का अंतिम सलामनाथूसिंह जोधा 31 मई 1992 को मानद कैप्टन के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उनका निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी वीरता की गाथा हमेशा भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी रहेगी। देश को उनके योगदान पर गर्व है। नाथू सिंह जोधा का जाना न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। राष्ट्र सदैव इस वीर सपूत का ऋणी रहेगा, जिन्होंने न केवल रणभूमि में, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद भी भारतीय सेना की शान को बनाए रखा।
खुशेंद्र तिवारी
लेखक के बारे में
खुशेंद्र तिवारी
नवभारत टाइम्स डिजिटल में राजस्थान के लिए काम करता हूं। पत्रकारिता की शुरुआत प्रिंट माध्यम से की। राजस्थान पत्रिका जयपुर में शिक्षा , कला , एंटरटेनमेंट और पॉजिटिव खबरों को लेकर काम किया। गुलाबी नगरी (जयपुर) का वासी, राजनीति और कला में विशेष रुचि।... और पढ़ें
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